मिश्रित फसल और अन्तराशस्य फसल (mixed cropping and intercrop)
मिश्रित फसल mixed cropping – दो या दो से अधिक फसलों के बीजों को एक साथ मिलाकर बुआई करना मिश्रित फसल कहलाती है।
अन्त शस्य फसलें inter cropping –
एक निश्चित क्षेत्र में निश्चित समय में दो या दो से अधिक फसलो को एक निश्चित अन्तराल की दूरी पर बुवाई करना अन्त शस्य फसल कहलाती है।
- जैसे – 2 कतार में मक्का की फसल तथा 2 में कतार उड़द की फसल।
अन्त: शस्य फसलों के सिद्धान्त –
मुख्य तथा गौण फसलों के पकने कि अवधी का अन्तराल 30 दिन होना चाहिए।
अन्त शस्य फसलों के मध्य प्रतिस्पर्धा नही होना चाहिए। (प्रकाश, पोषक तत्व, स्थान, CO2 जल के लिए)
मक्का तथा उड़द के अन्तराशस्य फसल मे पोषक तत्वो का प्रबन्धन मक्का + उड़द मक्का 60 दिन बाद पौषक त्तत्व लेता है। उड़द 30-35 दिन बाद में पौषक तत्व लेता है।
अन्तः शस्य के प्रकार :-
(1 ). समान्तर फसलें :- अतः शस्य फसलो में (मुख्य और गौण फसल) प्रतिस्पर्धा शून्य होनी चाहिए।
जैसे –
- कपास + उडद
- मक्का + उडद
- गन्ना +गेहू
(2). सहचर फसले :- अन्तशस्य फसलों कि उपज एकल फसल के समान हो उसे सहचर फसल कहते है।
जैसे –
(3) रक्षक फसल :- मुख्य फसल के चारो त्तरफ अन्य फसलो को रक्षा के लिए लगाना रक्षक फसल कहलाता है।
- जैसे – गन्ने के चारो तरफ सनई लगाना सोयाबीन के चारों तरफ मक्का लगाना
(4) अविराम खेती (रिले फसल) :- मुख्य फसल या पहली फसल की कटाई से पूर्व दूसरी फसल लगाना अविराम खेती कहलाता है।
- उदा- धान के खेत मे अलसी की फसल लेना।
(5) सहायक फसल :- बरसीम में चारे के लिए सरसों को लगाना ताकि प्रथम कटाई में अधिक ऊपज ले सके। इसे सहायक फसल कहा जाता है।
A. धनात्मक क्रम –
शस्य फसलो में मुख्य फसल के पौधों की संख्या एक फसल पद्धति के समान हो, धनात्मक क्रम कहलाता है।
B. ऋणात्मक / विस्थापित क्रम – अन्तः शस्य फसलो में ली जाने वाली दोनो फसल मुख्य फसल मानी जाती है। इसमें दोनों फसलो की के पौधो की जनसख्या एक फसल की तुलना मे कम पायी जाती हैं।
(6) मल्टी स्टोरीड फसल :- अलग – अलग ऊँचाई की फसलों को एक साथ लगाना, मल्टी स्टोरीड फसल कहलाता है।
- उदा० नारियल – कालीमिर्च – हल्दी ,लौग
(7) एली फसल :- पौधों के मध्य फसल लगाना एली फसल कहलाता है।
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