गन्ना (Sugarcane)
- वानस्पतिक नाम – सेकेरम स्पीशीज
- कुल – ग्रेमिनी
- उत्पति स्थान – भारत
- गूणसूत्र – 2n = 80
- पुष्पकर्म – एरो – आने की क्रिया एरोविंग (JET)
- अकुरण – हाइपोजिएल
- परागण – पर परागण
- गन्ने के विभिन्न उत्पाद – सेकेरम – संस्कृत भाषा से लिया गया है।
- चीनी – सफेद शक्कर
- खाण्डसारी – ब्राउन शुगर
- शीरा (मोलासेस) – शराब बनाने में।
- गैसोहॉल – 80 % प्रट्रोल तथा 20% गन्ने के रस से मिलकर बना मिश्रण।
- विश्व मे सबसे अधिक गन्ना उत्पादन -बत्राजील (सर्वाधिक चीनी उत्पादन)
- क्यूबा (चीनी का कटोरा), ब्राजील, भारत
- पके हुए गन्ने में सुक्रोज अधिक पाया जाता है।
- अंकुरण के लिए तापमान – 20 -25 °C
- गन्ने के शुगर व स्टार्च के स्थानान्तरण के लिए उपयुक्त पोषक तत्व K एवं B
गन्ने की प्रजातियाँ –
बीज दर ओर बीज उपचार।
- गन्ने की बुआई सेट / (केन) द्वारा होती है।
- गन्ने के लिए तीन आँख वाला सेट सबसे उपयुक्त माना जाता है।
- गन्ने की बुवाई के लिए ऊपरी 1/3 या 1/2 भाग का उपयोग किया जाता है।
- गन्ने के ऊपरी भाग में ग्लूकोज अधिक होने के कारण बुआई के लिए उपयोग किया जाता है।
- गन्ने मे शीर्ष प्रभाविता पाये जाने के कारण गन्ने का उपरी 1/3 या 1/2 भाग का उपयोग में लिया जाता है।
- तीन ऑख के लिए सेट संख्या – 35000 – 40000 / हैक्टेयर ICAR
45000 – 50000 /हैक्टेयर JET (60-70 Q/hac) - दो आँख के लिए सेट संख्या – 80,000/ हैक्टेयर
एक आँख के लिए सेट संख्या – 1,20,000/ हैक्टेयर - एगलॉल ओर ऐरेटान नामक फेंफुदनाशी से सेट को उपचारित किया जाता है।
- गर्म जल ओर गर्म वायु से सेट को उपचारित किया जाता है ताकि उनका अंकुरण अच्छे से हो सके और रोगों से बचा जा सके।
Sugarcane की बुआई का समय –
- दक्षिण भारत में मुख्यतः अघसाली गन्ना उगाया जाता है।
- उत्तर भारत मे मुख्यत स्प्रिग गन्ने का अधिक क्षेत्रफल होता है।
- स्प्रिग गन्ने की बुआई के समय आलू की खेती साथ में की जाती है।
Sugarcane की बुआई विधियाँ –
समतल विधि –
- उत्तर भारत मे अपनाई जाती है।
- कतार से कतार की दूरी – 75 -90 सेमी.
- केन/सेट की गहराई -6- 8 सेमी
नाली व मेड़ विधि –
- कम वर्षा वाले क्षेत्र मे अपनाई जाती है।
खाई /ट्रेंच विधि –
- समुद्रतटीय स्थानो पर अपनाई जाती है। (दक्षिण भारत में)
- कतार से कतार की दूरी – 90 सेमी।
- सेट / केन की गहराई -20 -45 सेमी।
रायनगन –
- इसमें गन्ने को खेत मे अकुरित करके तथा अंकुरित गन्ने को काटकर खेत मे लगाया जाता है।
- अड़साली गन्ना 18 महिनों में परिपक्व होता है।
Sugarcane का उर्वरक प्रबन्धन –
- N – 120 -150 किग्रा/हेक्टेयर
- P – 50 -60 किग्रा/हेक्टेयर
- K – 40 किग्रा/हेक्टेयर
- आधा N + पूरा P पूरा K बुआई का समय
- 20% अधिक नाइट्रोजन रेटूनिग फसल में ली जाती है।
- गन्ने मे क्लोरीनयुक्त उर्वरक का उपयोग नहीं करना चाहिए।
- अधिक नाइट्रोजनका उपयोग करने से गन्ने मे रस की मात्रा कम हो जाती है।
- अधिक तापमान होने पर भी गन्ने में रस की मात्रा कम हो जाती है।
Sugarcane की सिंचाई प्रबन्धन –
- फोरमेटिव अवस्था सबसे उपयुक्त मानी जाती है। सभी फसलों या ग्रेमिनी कुल के समी पौधो में अधिक जलमाँग होती है।
- गन्ने की वृद्धि अवस्था – अंकुरण अवस्था – 1-60 दिन
- टिलरिंग / कल्ले / फोरमेटिव अवस्था – 60 -130 दिन
- वृद्धि अवस्था – 130 -250 दिन
- परिपक्वन अवस्था – 250 से 305 दिन
- गन्ना नाइट्रोजन अमोनियम [NH4]के रूप में लेता है।
Sugarcane की उपज –
- 400 – 500क्विटल / हैक्टेयर
- अडसाली गन्ने के लिए -1000 – 1200 क्विटल / हैक्टेयर
Sugarcane की क्रियाएँ –
अंधी गुडाई –
- फसल की बुआई के बाद व अकुरण पूर्व की जाती है
- अंधी गुडाई मुख्यतः बुआई के 1-2 सप्ताह बाद मे करते है।
अंधी गुडाई के लाभ –
- खरपतवार नियन्त्रण
- वायु संचार बढ जाता है।
- कठोर पर तोडने से अकुरण अच्छे से हो जाता है।
प्रोपिंग –
- गन्ने के पौधो को सहारा देना।
टाईंग (रैपिंग) –
- गन्ने के पौधो को आपस में बांधना।
- मुख्यतः अगस्त माह मे की जाती है।
डिट्रेसिंग –
- गन्ने मे अवाछित पत्तियों या सूखी पतियो को हटाने की क्रिया को डिट्रेसिंग कहा जाता है।
अर्थिंग अप –
- मिट्टी चढ़ाना
- उतर भारत मे – जून – जुलाई
- दक्षिण भारत में – सितम्बर से अक्टूबर।
Sugarcane का खरपतवार प्रबन्धन –
- एट्राजिन नामक खरपतवार नाशी का उपयोग कर सकते है।
गन्ने की परिपक्व अवस्था का पता लगाना –
- TSS – गन्ने में TSS की रीडिग हेड रिफ्रेक्टोमीटर द्वारा गन्ने के मध्य भाग से ली जाती है।
- हेंड रेफ्रेक्टोमीटर की रीडिग – 18 -20
- फेहलींग टेस्ट –
इसकी रिडिंग – ग्लूकोज की मात्रा 05 से कम होती है।
अन्य विधि –
- पत्तियाँ पीली हो जाती है।
- गन्ने में पुष्पक्रम आना शुरू हो जाता है।
- परिपक्व गन्ने से मेटेलिक साउण्ड आता है।
- परिपक्व गन्ने में सुक्रोज अधिक व ग्लूकोज कम होता है गन्ने में सुक्रोज की मात्रा बढाने के लिए साइटोकाइनिन हार्मोन और पौधे की वृद्धि के लिए GA हार्मोन का उपयोग करते है।
- गन्ने को कृत्रिम रूप से पकाने के लिए बायपोलेरिस नामक रसायन का उपयोग करते है। इथरिल या ईथोफेन का प्रयोग भी करते है।
Sugarcane के रोग –
लाल सड़न रोग (रैड रोट) –
- कोलेटोट्राइकम फालकेटम (कवक) रोग ग्रस्त पौधों में एल्कोहॉल जैसी गंद आती है।
- गर्म जल ओर गर्म वायु से सेट को उपचारित किया जाता है।
ग्रासी शूट रोग –
- यह MLO के कारण होता है।
रेटून स्टंटिंग –
- यह वायरस के कारण होता है।
कीट –
- पाइरिलला (लीफ हॉफर)
- तना छेदक – डेड हर्ट उत्पन्न करता है।
- शीर्ष तना छेदक – यह डेड हर्ट ओर बन्ची टॉप उत्पन्न करता है।
किस्मे –
CO-419 , 617 wondercane , चमत्कारी गन्ना।
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