खरपतवार विज्ञान (WEED SCIENCE)
खरपतवार :- वे पौधे जो बिना उगाए उग आते है एवं लाभ की तुलना में हानि पहुंचाते है वह खरपतवार कहलाते है।
खरपतवार का जनक :- जेथ्रोटूल
किताब का नाम :- होर्स होईग हसबेन्ड्री (HHH)
खरपतवारों के लाभ :-
खरपतवारों से हानियाँ :-
- खरपतवारों द्वारा फसल उत्पादन में सर्वाधिक हानी होती है।
- खरपतवार – 33%
- कीट – 26%
- रोग – 20%
- अन्य शेष – 21%
2. मनुष्य के स्वास्थ्य में हानि :-
- गाजर घास तथा घासो के परागकणो के कारण मनुष्य मे अस्थमा रोग हो जाता है।
- सत्यानाशी के बीज तथा सरसो बीजो के मिश्रण से निकाले गये तेल के सेवन से मनुष्य मे ड्रोप्सी रोग हो जाता है।
3. पशुओं के स्वास्थ्य में हानि :-
- जंगली ज्वार को शुरूआती अवस्था में खिलाने पर पशुओ में HCN (धुरीन) की अधिकता के कारण मृत्यु हो जाती है।
- जलाशयो में जल की गुणवत्ता खराब करना।
4. कीट तथा रोगों को शरण देना :-
- बाजरे के अरगट रोग के रोग कारक को अजन घास शरण देता है।
खरपतवार तथा फसलों में प्रतिस्पर्धा :-
- खरपतवार कम CO2 की सान्द्रता पर मी प्रकाश सश्लेषण कर सकते हैं।
(4) पोषक तत्व :- सामान्यत खरपतवार ग्रसित रथानो पर नाइट्रोजन (N) पोषक तत्व कि कमी पाई जाती है फसलो की तुलना में खरपतवारों को अंधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है।
खरपतवारों की विशेषताएँ :-
- अधिक बीज उत्पादन होता है।
- अधिक तथा तेजी से वानस्पतिक वृद्धि होती है।
- खरपतवार के प्रकीर्णन की अनेक विधियाँ होती है।
- बीज तथा वानस्पतिक भागो द्वारा प्रवर्धन होता है।
- इनकी शारीरिक संरचना फसलों से मिलती-जुलती है।
- यह फसलो के साथ पकते है। जैस-प्याजी, गेहूसा आदि।
- इनकी अधिक गहरी जडे होती है।
- कीट तथा रोगो से लडने कि क्षमता होती है।
- इनमे सुषुप्तावस्था पाई जाती है।
खरपतवारों का प्रकीर्णन :-
- जल –
- वायु –
- पशु, मनुष्य कृषि यंत्र –
- बिना सडी हुई गोबर की खाद द्वारा –
- मिट्टी द्वारा –
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