mixed farming मिश्रित कृषि
मिश्रित कृषि (Mixed Farming) एक कृषि प्रथा है जिसमें किसान एक साथ विभिन्न प्रकार के फसलों (फसल उत्पादन + पशुपालन,) पशुपालन, और अन्य कृषि गतिविधियों का संचालन करते हैं। इस प्रकार की कृषि प्रथा में किसान अपने खेतों पर गेहूं, चावल, बाजरा, मक्का, आलू, और अन्य फसलें उगाते हैं और साथ ही गौशाला में गाय, भैंस, बकरी, और मुर्गे पालते हैं।
मिश्रित कृषि का मुख्य लक्ष्य कृषि उत्पादन की विविधता बढ़ाना होता है और एक ही साथ विभिन्न उत्पादों की खेती करके किसान को आर्थिक सुदृढ़ि करने में मदद करता है। इसके फायदे निम्नलिखित हो सकते हैं:
- फसल की सुरक्षा: जब किसान विभिन्न प्रकार की फसलें उगाते हैं, तो किसान की आर्थिक सुरक्षा में सुधार होता है। यदि किसी प्रकार की फसल में परेशानी आ जाती है, तो दूसरी फसलें उगाकर किसान नुकसान से बच सकता है.
- विविध उत्पादों का प्राप्ति: मिश्रित कृषि से किसान विभिन्न प्रकार के उत्पादों का साथ में उत्पादन कर सकता है, जैसे कि दूध, दही, मांस, और फल-सब्जियां। इससे विभिन्न आय स्रोतों की सुरक्षा होती है.
- पशुपालन का साथ: मिश्रित कृषि में पशुपालन का अवसर भी होता है, जिससे किसान को गोबर, दूध, और अन्य पशुओं से उत्पादित आय प्राप्त होती है।
- पर्यावरण संरक्षण: मिश्रित कृषि से विभिन्न प्रकार की फसलें उगाने से खेतों का फसल चक्र सुधारता है, जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक समर्थन मिलता है।
Mixed Farming मिश्रित कृषि विविधता और आर्थिक सुदृढ़ि करने में मदद करने वाली एक प्रभावी कृषि प्रथा हो सकती है और खेती के क्षेत्र में सुधार कर सकती है।
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