कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाएं (some important definitions)
हार्वेस्ट इंडेक्स / कटाई सूचकांक –
यह अवधारणा “डोनाल्ड ने दी। सबसे कम कटाई सूचकांक ‘अरहर’ का होता है लगभग 49% होता है
स्थानान्तरित खेती- खेती के इस तरीके में किसी स्थान के जंगलों को काटकर या जलाकर वहाँ कुछ वर्षो तक (4-5 वर्ष) खेती करतें है। कुछ समय बाद जब उस स्थान की उर्वरता कम हो जाती है तब किसी अन्य स्थान पर इस क्रिया को दौहराया जाता है इसे झूम खेती, काटना व जलाना, बुशफेलो अथवा शिफ्टिंग कल्टीवेशन के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्यावरण के लिए हानिकारक है। मृदा क्षरण को बढ़ावा देती है। इसे राजस्थन में वालरे कहा जाता हैं।
जैविक खेती -खेती का वह प्रकार जिसमें किसी भी प्रकार का कृत्रिम संश्लेषित रसायन का प्रयोग नहीं किया जाता है।
बोर्डर फार्मिंग – खेती का वह तरीका जिसमें उपज में कमी किए बिना खाद, बीज एवं दवाईयों का 25 प्रतिशत हिस्सा बचा लिया जाता है। यह वास्तव में बुआई का एक तरीका है जिसमें प्रत्येक तीन लाइन की बुआई के बाद चौथी लाइन की जगह को खाली छोड़ दिया जाता है।
कंदूर फार्मिंग (समोच्च खेती)– यह पहाडों पर की जाने वाली खेती जिसमें पहाडो को सीढ़ीनुमा आकृति में काटकर खेती की जाती है। इसमें सभी कृषि क्रियाएँ ढलान के विपरीत दिशा में की जाती है।
दियारा खेती – एसे क्षेत्र जहाँ वर्ष के एक निश्चित समय में पानी भरा रहता है “दियाराः क्षेत्र कहलाता है। इन क्षेत्रों से पानी निकल जाने के बाद की जाने वाली खेती को ही “दियारा” खेती कहते है । जलमग्न अथवा बाठउग्रस्त क्षेत्रों से जल निकल जाने के बाद उस स्थान पर खेती करना। उदा– तरबूज, खरबूज
उथेरा खेती – वर्षा आधारित निचली भूमि की धान अतिरिक्त नमी का प्रयोग करने के लिए जब धान की कटाई के पहले ही अलसी की बुआई की जाती है। इसे उटेरा अथवा पायरा फसल के नाम से भी जाना जाता है।
टोंग्या खेती – यह पहाडो पर वर्षा ऋतु में वृक्षा रोपण से सम्बन्धित है। म्यानमार (बर्मा) देश में प्रचलित है।
कृषित फसलें भूमि की तैयारी करके उगायी जाने वाली फसलें कृषित फसलें अथवा ऐरेबल क्रॉप्स कहलाती है।
ऊर्जा खेती – ईघन सम्बन्धित आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उगायी जाने वाली फसलों की खेती “ऊर्जा खेती” कहलाती है।
उदा.- जेट्रोपा (बायोडीजल) , गन्ना (एथेनॉल)।
आदर्श प्रारूप – आदर्श प्रारूप की अवधारणा “डोनाल्ड ने दी।
इसका सम्बन्ध आदर्श पौधे की परिकल्पना से है।
एलिलोपेथी – किसी एक फसल का दूसरी फसल पर पड़ने वाला हानिकारक प्रभाव “एलिलोपेथी” कहलाता है।
जैसे- सूरजमुखी अपनी जडों द्वारा छोडे गए रसायनों से गेहूँ एवं मटर के अंकुरण को रोक देता है।
एनिडेशन – किसी एक फसल का दूसरी फसल पर पडने वाला लामदायक प्रभाव एनिडेशन कहलाता है।
ऐले फार्मिंग / गली फार्मिंग– वृक्षों की कतारों के मध्य खाली स्थान में खाद्यान्न फसलों की खेती करना।
निर्वाह खेती – कमजोर आर्थिक दशा के कारण पारम्परिक विधियों का प्रयोग करके केवल पारिवारिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए की जाने वाली खेती।
आकस्मिक खेती – विपरीत वातावरणीय परिस्थितियों में आंशिक उत्पादन कर पारिवारिक आवश्कता को पूरा करने के लिए कि जाने वाली खेती।
नर्स खेती – वे फसलें जो अपने साथ उगने वाली फसलों के वृद्धि एवं विकास में सहायता करती है नर्स फसलें कहलाती है। उदा. – दलहनी फसलें।
तलकर्षण धान्य – जब दो अनाज वाली फसलों को एक साथ एक ही समय पर, एक ही खेत में उगाया जाता है|
उदा. – गेहूँ + जौ
यह मृदा उर्वरता के दृस्टिकोण से अत्यधिक हानिकारक है।
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