फॉस्फोरस (Phosphorus) Nutrient in plant full notes
फॉस्फोरस (Phosphorus)
- फॉस्फोरस पौधो मुख्यतः H3PO4+ आयन के रूप मे लेता है।
- फॉस्फोरस की उपब्धता अम्लीय मृदाओं में अधिक होती है।
- फॉस्फोरस की उपलब्धता 6.5 से 7.5 (6.5) P” पर सर्वाधिक होती है।
- अधिक अम्लीय मृदाओ में फॉस्फोरस की उपलब्धता कम हो जाती है क्योकि वहाँ Al, Fe पोषक तत्वों की विषाक्तता बढ जाती है।
- अधिक क्षारीय मृदाओं में फॉस्फोरस की उपलब्धता कम हो जाती है क्योकि वहाँ पर केल्शियम की उपलब्धता बढ जाती है।
- मृदा में फॉस्फोरस का प्रमुख स्त्रोत एपेटाइट होता है।
फॉस्फोरस के कार्य :-
- यह जडो के निर्माण में सहायक होता हैं। जिससे फसलों का गिरना कम हो जाता है।
- फॉस्फोरस को पौधों के जीवन की कुंजी कहा जाता है, क्योंकि यह DNA तथा RNA के निर्माण मे सहायक होता है।
- फॉस्फोरस को पौधो की ऊर्जा मुद्रा कहा जाता है, क्योकि यह ATP तथा ADP के निर्माण में सहायक होता है।
- फॉस्फोरस पौधों मे कोशिका विभाजन में सहायक होता है।
- फॉस्फोरस दानो के निर्माण मे सहायक तथा दाने एव भूसे के अनुपात को नियंत्रण करता है।
- फॉस्फोरस पौधो मे अप्रत्यक्ष रूप से सूखा सहन करने की क्षमता प्रदान करता है।
फॉस्फोरस की कमी के लक्षण :-
- फॉस्फोरस की कमी के लक्षण पौधो की पुरानी पत्तियों पर दिखाई देते है।
- फॉस्फोरस की कमी के कारण पौधो की पत्तियों का रंग अधिक गहरा हरा हो जाता है।
- फॉस्फोरस की कमी के कारण पौधों की पत्तियों पर बैंगनी रग के छोटे छोटे घब्बे दिखाई देते है। जो कि एन्थोसायनिन वर्णक की अधिकत्ता के कारण होता है।
- फसलो मे हँसियाकार पत्तियां रोग P की कर्मी के कारण होता है।
फॉस्फोरस की अधिकता :-
- मृदा में अधिक फॉस्फोरस होने के कारण Zn, Fe, Cu पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।
- जल मग्न वाले क्षेत्रों में P की उपलब्धता बढ जाती है।
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