जौ/Barley :-
- वानस्पतिक नाम – होर्डियम क्लोयर
- कुल – ग्रेमिनी
- उत्पति स्थान – इथोपिया
- गुणसूत्र -2n – 14
- अंकुरण – हाइपोजियल
- पुष्पक्रम – स्पाइक
- फल – केरियोप्सिस
- तना – कल्म
- परागण – स्वपरागण
- (मुख्यतः खेती की जाती है)
- प्रोटीन – 11.5%
- जौ – संस्कृत भाषा का शब्द है।
- इसका उपयोग एल्कोहॉल -लुगरी बनाने मे किया जाता है
- खाद्यान फसलो मे सर्वाधिक लवणो प्रतिरोधी फसल है।
जलवायु व मृदा :-
- रबी मौसम का पादप, C3 पादप, L.D.P
- अंकुरण के लिए तापमान – 25 – 30 डिग्री सेल्सियस
जौ/Barley की बीजदर :-
- 100 kg/h (NCERT), लवणीय मृदा के लिए 120-125 kg/h
- 75 kg/h (ICAR) – लवणीय मृदा के लिए 100 kg/h
- अन्तराल (RxP) – 22.5 x 5-10 cm
बीज उपचार – ऐजेटोबेक्टर
किस्में:-
- BL – 2(बिलाडा-2) लवणीय मृदा प्रतिरोधी |
- डोलमा – छिल्का रहित किस्म JET 2018
- राजकिरण (RD -387), ४०9-2052 – मोल्या रोग प्रतिरोधी
अन्य – विजय, रेखा, केदार, करण-3
जौ/Barley की सिंचाई प्रबन्धन:-
- प्रथम सिचाई – कल्ले निकलते समय (30 दिन)।
- दूसरी सिंचाई – दाने बनते समय।
रोग:-
- आवृत कण्डवा रोग – अस्टीलागो होर्डियाई (कवक) बाह्य बीजीय रोग होता है।
- मोल्या रोगननिमेटोड द्वारा – हेटेरोडेरा एविनी
- खोज – नीम का थाना (सीकर)
कीट :-
- दीमक-गेहूँ के समान
- ट्रिटिकेल – प्रथम मानव निर्मित फसल गेहूं +राय
- (अन्तरावशीय क्रॉस द्वारा) ट्रिटीलम एस्टीवम x सिकेल सीरिएल
- उत्पति स्थान – स्वीडन
- प्रोटीन – 20%
- किस्म – DT-46
- जौ का उपयोग किडनी सम्बन्धित रोगो के उपचार मे किया जाता है।
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