Farming system कृषि प्रणालियां basic agriculture notes in hindi

कृषि प्रणालियां (Farming system)

Farming system

फसल -पौधों के उस समूह को जिसे मनुष्य किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए उगाता है उसे फसल कहते है।
 
मिश्रत फसल – दो या दो से अधिक फसलो के बीजों को मिलाकर उगाना
 
ले फार्मिंग – चारागाह या घास उगाने की प्रक्रिया या पद्धति को ले फार्मिंग कहते है।
 
बहुफसली खेती – जब एक वर्ष में दो या दो से अधिक फसलें एक ही क्षेत्र में उगायी जाती है तो उसे बहुफसली खेती कहते है।
 
कीट आकर्षक फसल – जब मुख्य फसल को कीडों से बचाने के लिए अन्य फसल उसके चारों तरफ उगाते है तो उसे कीट आकर्षक फसल कहते है। जैसे टमाटर के खेत की चारों तरफ गेंदा उगाना।
 
टिकाऊ खेती – खेतों की ऐसी प्रणाली जिसमें पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए जो खेतों की जाती है उसे टिकाऊ खेती कहते है।
 
रिले शस्यन या ओवर लेपिंग खेती – खेतों की ऐसी प्रणाली जिसमें प्रथम फसल की कटाई से पूर्व खेत में दूसरी फसल की बुवाई कर देना रिले सस्यन कहलाता है।
 
सघन खेती –
जब सीमित क्षेत्र पर एक निर्धारित समय में अधिक से अधिक फसलें उगायी जाती है तो उसे पद्धति को सघन खेती कहते है।
 
जीवांश खेती – जैविक खेती से की गई खेती जिसमें उर्वरकों कीटनाशकों एवं शाकनाशी, कवकनाशी आदि का प्रयोग नहीं किया जाता है ऐसी खेती को जैविक खेती कहते है।
 
निर्वाहक खेती – ऐसी खेती जो किसान को उसके परिवार के जीवन निर्वाह के लिए भोजन व अन्य सामग्री प्रदान करती है और किसान इसका कुछ भाग भी बाजार में बिक्री नहीं कर सकता ऐसी खेती को निर्वाहक खेती कहते है।
 
पलवार फसले – ऐसी फसलें जो कि मृदा कटाव को रोकती उन्हें पलवार फसलें कहते है। उदाहरण- मूंग उडद, चवला
 
सिनरेजेटिक शस्यन– जब उगायी गई दोनों फसलों की उपज प्रति इकाई क्षेत्र के आधार पर शुद्ध फसल के उपज से अधिक होती है तो इस प्रकार के शस्यन को सिनरजेटिक शस्यन कहते है।
 
रक्षक फसलें – मुख्य फसल के चारों ओर उगायी गयी कांटेदार फसल को रक्षक फसल कहते है। जैसे-मटर के चारों और कुसुम तथा गन्ने के चारों और पटसन व अरहर उगाना। रक्षक फसलें कहलाती है। इनको प्रहरी फसलें भी कहते हैं।
 
नगदी फसलें — जो फसलें खेत से सीधी बेची जाती है और सीधे नगदी रुपये प्राप्त होते है ऐसी फसल नकदी फसल कहलाती है। जैसे – गन्ना, चुकन्दर, तम्बाकू, आलू आदि।
 
वृद्धि कारक फसलें – जब कोई अन्य फसल मुख्य फसल की उपज के अनुपूरक उगायी जाती है तो वह फसल वृद्धि कारक फसल कहलाती है। उदाहरण- बरसीम में सरसों।
 
अन्तःवर्ती फसलें – मुख्य फसलों के बीच में तेजी से वृद्धि करने वाली यह अल्प अवधि में तैयार होने वाली फसल को अन्तःवर्ती फसलें कहते है। उदाहरण- मूंग, तोरिया आदि।
 
झुमिंग खेती –
इस खेती को स्लेश एण्ड बर्न नाम से भी जाना जाता है। इसे वालरा या टाम्या भी कहते है। यह खेती राजस्थान में डूंगरपुर, बांसवाड़ा जिले में अपनायी जाती है। इस खेती के अंतर्गत जंगलों के आग लगाकर यहां कि वनस्पतियों को नष्ट करके उस जगह पर 4 से 2 साल तक खेती करते है।
 
समानान्तर फसलें – मुख्य फसलों की पैदावार को हानि पहुंचाए बगैर उसके साथ अतिरिक्त उपज प्राप्त करने के लिए जो फरलें उगायी जाती है। उन्हें समानान्तर फसलें कहते हैं। उदाहरण – अरहर के साथ उडद।
 
सूचक फसलें – वे फसलें जो पोषक तत्वों की भूमि में कमी होने पर तुरन्त अपने उपर कमी के लक्षण प्रकट करती है, उन्हें सूचक फसलें कहते हैं। जैसे – मक्का, फूल गोभी, सूरजमुखी।
 
परिचारिका फसलें (नर्स फसलें) – ऐसी सहचर फसल जो मुख्य फसल के लिये कार्बनिक पदार्थ, नाइट्रोजन एवं सहारा प्रदान करती है अर्थात्‌ उसकी वृद्धि एवं विकास में लाभदायक होती है जैसे – मटर में सरसों।
 
पट्टीदार खेती -ढालू भूमि में मृदा क्षरषण को कम करने वाली तथा अन्य फसलों को एक के बाद एक पटिटयों में ढाल के विपरीत इस प्रकार उगाना कि मृदा क्षरण को न्यूनतम किया जा सके।
 
समोच्च कृषि -पहाडी क्षेत्रों में समस्त कृषि कार्यो और फसलों की बुवाई ढाल के विपरीत करना, जिससे वर्षा से होने वाले मृदा क्षरण को कम किया जा सकें।
 
मिश्रित कृषि -_ फसल उत्पादन + पशुपालन पद्टीदार खेती -ढ़ालदार भूमि पर मृदा अपरदन को कम करने के लिए दलहनी तथा घास को पदिटयों के रुप में ढाल के विपरीत दिशा में बोना।
 
संरक्षित खेती (प्रोटेक्टेड कल्टीवेशन) – विषम परिस्थितियों में भी फसलों की वृद्धि के लिए आवश्यक अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने के लिए ग्रीन हाउस, शेडनेट, प्लास्टिक टनल व माल्चिंग का उपयोग करना।
 
कृषि वानिकी – कृषि के साथ-साथ फसल चक्र में पेड़ों, बागवानी व झाडियों की खेती कर फसलें व चारा उत्पादित करना
रोपण कृषि – विशेष प्रकार की खेती (रबड, चाय, कहवा की खेती)
 
शुष्क या बारानी कृषि – शुष्क क्षेत्रों में वर्षा जल का सुनियोजित संरक्षण व उपयोग कर कम पानी की आवश्यकता वाली व शीघ्र पकने वाली फसलों की कृषि।
 

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