चना chickpea/Gram crop notes

चना chickpea/Gram

चना

चना

वानस्पतिक नाम -साइसर ऐरटिनम

कुल – फबेसी / पेपलियोनेसी

उत्पति स्थान – दक्षिण – पश्चिम एशिया

गुणसूत्र -2n=14

अकुरण -हाइपोजियल

परागण -स्वपरागण

फल का प्रकार -पोड

पुष्प का प्रकार -रेसिम

प्रोटीन की मात्रा -21%

वसा की मात्रा -4%

देशी चना (भूरा चना)काबुली चना (सफेद चना)
वानस्पतिक नाम साइसर ऐरेटिनमसाइसर काबुलियम
उत्पति स्थानदक्षिण – पश्चिम एशियाकाबुल (अफगानिस्तान)
गुणसूत्र1416
SI कम अधिक
अंतरण30x 10cm45x 15cm
बीजदर 60 -80किग्रा / है80 -100किग्रा /हे
उपज25 -30क्विटल / है20-22 क्विटल / है
  • चने को घोडादाल भी कहा जाता है तथा इसकी दाल का उपयोग करने से रक्त का शुद्धिकरण होता है।
  • चने की पतियो में खटटापन मैलिक अम्ल (96%) और ऑक्सेलिक अम्ल (4%) के कारण होता है।
  • चने में कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयरन तथा विटामिन प्रचुर मात्रा में पाये जाते है।

सम्बन्धित क्रियाऐ :-

निपिंग :-

  • चने के शीर्ष को हटाने की क्रिया निपिंग कहलाती है।
  • चने मे निपिग 20 – 30 दिन तथा 20 सेमी की ऊचाई पर करते है ।
  • उद्देश्य -पार्श्व शाखाओं की सख्या बढाना ताकि फूल व फल अधिक बन सके।

निपिग निम्न विधि द्वारा किया जा सकता है।

  • पशु द्वारा – भेड द्वारा
  • TIBA रसायन द्वारा –
  • 75 PPM का उपयोग
  • साइकोसेल

जलवायु और मृदा :-

  • रबी की फसल, C3 पादप और LDP पादप
  • मृदा – चने के लिए ढेले युक्त मृदा की आवश्यकता होती है।
  • चने के सामान्य बीज की गहराई – 5-7 cm
  • उखटा रोग बचाव के लिए गहरी बुआई करते है 8 – 10 सेमी.

किस्मैं :-

पूसा – 256 तथा C- 235 शुष्क क्षेत्रों के लिए
RS -10. RS -11-उत्परिवर्तित किस्म

  • सम्राट, वरदान, अवरोधी आदि उखटा रोग प्रतिरोधक किस्मे |
  • राधे सर्वाधिक प्रचलित किस्मे है।

रोग :-

उखटा रोग

  • कवक – पयुजेरियम ऑक्सीस्पोरियम

नियन्त्रण :-

  1. ग्रीष्मफालीन गहरी जुताई करके ।
  2. प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग करके – अवरोधी।
  3. ट्राइकोडर्मा जैविक कवकनाशी फफूदनाशी का उपयोग करके ।
कीट :-
  • फली छेदक – हेलिकोवर्पा आरमीजैरा यह दिन में अधिक सक्रिय होता है।
  • कट वर्म – एग्रोटिस इपसीलोन यह रात मे अधिक सक्रिय होता है।
  • नियंत्रण -NPV – न्यूक्लियर पॉली हाइड्रोसिस वायरस

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