जैव उर्वरक Bio Fertlizer Agriculture full notes
परिभाषा – यह सूक्ष्म जीव वातावरणीय नाइट्रोजन का स्थिरीकरण तथा मृदा में उपस्थित अघुलनशील फॉस्फोरस का घुलनशील करते है।
राइजोबियम :-
इसकी खोज बिन्जेरिक नामक वैज्ञानिक ने सोयाबीन की जड़ों मे की। विनोग्राडस्की नामक वैज्ञानिक को नाइट्रोजन स्थिरीकरण का जनक कहा जाता है।
राइजोबियम यह एक वायवीय जीवाणु है जो कि ऑक्सीजन की उपस्थिति मे नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करता है। राइजोबियम एक सहजीवीजीवाणु है जो दलहनी फसलो मे गाठ बनाकर नाइट्रोजन स्थिरीकरण करता है। राइजोबियम का पुराना नाम बैसिलस रेडिसिकोला है।
लेग्हिमोग्लोबिन :-
यह एक गुलाबी रंग का द्रव्य है। जो कि दलहनी फसलो की गाठो मे पाया जाने वाला एक एन्जाइम है। यह नाइट्रोजन स्थिरीकरण में सहायक होता है। इसके निर्माण मे Mn पोषक तत्व भाग लेता है।
नोट:- लेग्हिमोग्लोबिन का मुख्य कार्य :- यह मुख्यत नाइट्रोजिनेज एन्जाईम को (O2) ऑक्सीजन की आपूर्ति करवाना।
राइजोबियम कल्चर :-
राइजोबियम के एक पेकेट का 200 ग्राम होता है। जो कि 40 किलो बीजों को उपचारित करने मे उपयोग किया जाता है।
1 किलो बीजों के लिए 20 ग्राम राइजोबियम कल्चर की आवश्यकता होती है।
200 ग्राम – 10 किलो बीज उपचारित
20 ग्राम – 1 किलो बीज उपचारित
राइजोबियम कल्चर को हमेशा ठण्डे तथा शुष्क वातावरण में रखा जाता है।
राइजोबियम से उपचारित बीजों को हमेशा छाव (छाया) मे रखना चाहिए |
बीज उपचारित करते समय निम्न सामग्री का उपयोग करते है
बीज + पानी + गुड + कल्चर
BGA (Blue Green algea) नील हरित शैवाल:-
86% की मुख्यतः दो स्पीशीज होती है। एनाबीना, नोस्टोक
BGA का उपयोग मुख्यतः धान की फसल में किया जाता है। जिससमें लगभग 25-30 किलो /हेक्टेयर नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करते है। BGA को साइनों बैक्टीरिया के नाम से भी जाना जाता है।
एजोला का उपयोग 1 हेक्टेयर के लिए 40 किलो किया जाता है।
एजोला -एजोला का उपयोग मुख्यत धान के खेत में किया जाता है।
एजोला की पत्तियों पर BGA की एनाबिना स्पीशीज पाई जाती है। जो की सहजीवी नाइट्रोजन स्थिरीकरण करती है।
एजोला का मुख्य कार्य, नाइट्रोजन स्थिरीकरण तथा मृदा मे कार्बनिक पदार्थों
की मात्रा को बढाना होता है।
एजोला पिन्नाटा -एजोला की एक मुख्य स्पीशीज है जो की मुख्यत भारत में उपयोग की जाती है।
VAM (वेस्क्यूलर अरबेस्क्यूलर माइकोराइजा) :-
VAM की खोज फ्रेक नामक वैज्ञानिक ने की। VAM एक फंफूद (कवक) VAM से उपचारित किए गएपौधों मे जड तथा फफूंद के मध्य सहजीवी सम्बध होता है। VAM मृदा मे 7 तथा सूक्ष्म पोषक तत्व 77 की उपलब्धता बढा देता है। इसकी वृद्धि अधिक नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस वाली मृदा मे नही होती है। हर्टिंग नेट – एक्ओमाइकोराइजा में देखा जाता है।
युट्रिफीकेशन – जलाशयो में अधिक P व N होने के कारण शैवालों की अधिक वृद्धि हो जाती है। जिसमे जलीय जीवों को O2 नहीं मिल पाती है। इस कारण उनकी मृत्यु हो जाती है।
क्लोस्ट्रीडियम :- एक अवायवीय बैक्टीरिया है जो की वायु की अनुपस्थिति में नाइट्रोजन स्थरीकरण करता है।
एक्टीनोमाइसीटीज – शुष्क क्षत्रो में अधिक प्रमावी होता है। शैवाल तथा कवको के सम्बंध को लाइकेन कहा जाता है।
निफजीन :- यह एक जीन है जो की नाइट्रोजन के स्थिरीकरण में सहायक है।
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