subsistence farming
ऐसी खेती जो किसान को उसके परिवार के जीवन निर्वाह के लिए भोजन व अन्य सामग्री प्रदान करती है और
किसान इसका कुछ भाग भी बाजार में बिक्री नहीं कर सकता ऐसी खेती को निर्वाहक खेती कहते है।
“निर्वाह खेती” (Subsistence Farming) एक प्रकार की कृषि प्रथा है जिसमें किसान अपने और अपने परिवार के खाने के लिए ही कृषि उत्पादन करते हैं, और उनका उद्देश्य अपनी आजीविका को सुरक्षित रखना होता है, बिना अधिक आय की उम्मीद किए।
निर्वाह खेती की विशेषता यह है कि यह किसानों के स्वामित्व में छोटे-छोटे खेतों पर किया जाता है और वह आमतौर पर प्राकृतिक खेती पद्धतियों का उपयोग करते हैं। इसमें मुख्य रूप से धान, गेहूं, जौ, और अन्य खाद्यान्न फसलों की खेती की जाती है, जिन्हें परिवार के भोजन के रूप में उपयोग किया जाता है।
subsistence farming निर्वाह खेती के बारे में निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं:-
- स्वामित्व: किसान अपने खेतों के स्वामित्व में रहते हैं और खेतों को अपने परिवार के लिए उपयोग करते हैं।
- खाद्य सुरक्षा: इस प्रकार की खेती का मुख्य उद्देश्य खाने की सुरक्षा होता है, और किसान अपने खाने के लिए किसी और स्रोत पर निर्भर नहीं होते।
- टिकाऊ फसलें: निर्वाह खेती में आमतौर पर टिकाऊ फसलें उगाई जाती हैं, जो अच्छे उपजाऊ और प्रतिस्पर्धी माने जाते हैं।
- परंपरागत खेती पद्धतियाँ: इस प्रकार की खेती में किसान अक्सर परंपरागत खेती पद्धतियों का पालन करते हैं, जो उनके पिता-दादा से सीखी गई होती हैं।
- आय की कमी: इस प्रकार की खेती से किसान की आय नहीं होती है, और वह अक्सर आर्थिक संकट से जूझते हैं।
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